चरण स्पर्श और आशीर्वाद से
उम्र लंबाती है, सेहत सुधरती है !
के. विक्रम राव Twitter ID: @Kvikramrao
एक सुखद अन्वेषण है जर्मनी और हालैंड के शोधकर्ताओं का कि आशीर्वाद देने से अवसाद, चिंता, दर्द आदि कम हो जाते हैं। बुजुर्गों द्वारा सर पर हथेली रखने से शिशुओं का वजन भी बढ़ता है। “न्यूयॉर्क टाइम्स” की एक रपट के अनुसार आशीर्वाद मिलने से आत्मविश्वास दूना हो जाता है। भारत के ऑल-इंडिया इंस्टीट्यूट के बालरोग निष्णेताओं के अनुसार आधुनिक पाश्चात्य चिकित्सा पद्धति में स्पर्श-उपचार उपेक्षित रहा है, जबकि आशीर्वाद और चरणस्पर्श प्राचीन भारतीय प्रथा रही हैं। तरुणों ने चरण छूए कि वयोवृद्धों का आशीष मिलने और दुआ पाने से ही शुभ होता है। आयु दीर्घ होती है।
तीन वर्ष बीते, इसी परिवेश में उस दिसंबर की अखबारी मुख्यपृष्ठों पर छपी (1 दिसंबर 2021) की फोटो याद आई। नवनियुक्त नौसेना अध्यक्ष, 59—वर्षीय एडमिरल राधाकृष्णन हरिकुमार नायर द्वारा सार्वजनिक समारोह में अपनी वृद्धा मां विजयलक्ष्मी के चरण स्पर्श करते हुए चित्र छपा था।
एकदा प्रधानमंत्री अटल जी कलकत्ता की एक सरकारी यात्रा के दौरान अपनी रेल मंत्री कुमारी ममता बनर्जी के कालीघाट वाले आवास पर गये थे। वहां 75—वर्षीय वाजपेयी ने अपने से पांच साल छोटी गायत्री बनर्जी के चरण स्पर्श किये। ममता की इस मां ने नारियल के लड्डू प्रधानमंत्री को खिलाया और स्वस्ति वचन कहे। यूं नरेंद्र मोदी भी लाहौर में मियां मोहम्मद नवाज शरीफ के घर शादी समारोह पर उनकी बूढ़ी मां के पैर छूकर आशीर्वाद पा चूके हैं।
बुजुर्गों का चरण स्पर्श करने से मनु स्मृति (द्वितीय अध्याय: श्लोक : 121) के अनुसार आयु, विद्या, यश और बल बढ़ता है। मानस की पंक्ति है : ”प्रातकाल उठि के रघुनाथा। मातु पिता गुरु नववहीं माथा।।” उदाहरणार्थ बालक मार्कण्डेय की अल्पायु थी पर सप्तर्षि और ब्रह्मा के चरण छूने पर उसे दीर्घायु का आशीर्वाद मिला। शीघ्र—मृत्यु का दोष भी मिट गया।
छः दशक बीते नजरबाग (लखनऊ) में हमारे पड़ोसी पंडित उमाशंकर दीक्षित ने मुझे सिखाया था, ”बड़ों के पैर छूने से भला होता है, भाग्य सुधरता है।” दीक्षित जी इन्दिरा गांधी काबीना के गृहमंत्री और पश्चिम बंगाल के राज्यपाल रहे थे। उनकी बहू शीला कपूर—दीक्षित दिल्ली की 15 वर्षों तक मुख्यमंत्री रहीं। उनके पुत्र संदीप सांसद थे। पुत्री का नाम है लतिका सैय्यद।
साधुओं को यह सम्मान न देने पर, उनकी अवहेलना करने पर हानि होने का भी दृष्टांत है। प्रयाग में कुंभ था। देवराहा बाबा पेड़ पर मचान लगाये विराजे थे। उत्तर प्रदेश के कांग्रेसी मुख्यमंत्री श्रीपति मिश्र दर्शन हेतु पधारें। मैं भी श्रद्धालुओं में था। बाबा ने मिश्रजी को ग्यारह किलो मखाने की गठरी दी। सर पर संभाले, खड़े रहने का आदेश दिया। तीस मिनट की काल—अवधि थी। कुछ ही देर बाद श्रीपति मिश्र ने गठरी उतार दी। बाबा बोले, ”ग्यारह किलो मखाने चन्द मिनटों तक सर पर नहीं रख पाये, तो उत्तर प्रदेश के ग्यारह करोड़ (तब की आबादी) का भार कैसे संभाल पाओगे?” बस 2 अगस्त 1982 को वे हटा दिये गये। पंडित नारायण दत्त तिवारी मुख्यमंत्री नामित हो गये।