EOW, के जांच अधिकारी से लेकर नीचे तक लेने देन हुआ इसलिए जांच के कई विंदू न्यायाधीश के समक्ष प्रस्तुत नहीं किया, शलभ भदौरिया के प्रकरण में
शलभ भदौरिया ने किया कूट रचना, आर्थिक अपराध, भोपाल न्यायालय ने दी तीन साल की सजा और जुर्माना लगाया 50 हजार का। श्रमजीवी पत्रकार मासिक पत्र की अनियमितता की जांच में बहुत कुछ तथ्य छुपाए जांच एजेंसी । आरोपी शलभ भदौरिया पर 420 ,467 ,468, 171,120 बी, में दर्ज प्रकरण वर्तमान में हाईकोर्ट में विचाराधीन है भोपाल न्यायालय से तीन वर्ष की सजा और रुपए 50 हजार का जुर्माना पाए मध्यप्रदेश श्रमजीवी पत्रकार संघ के अध्यक्ष? अशक्त हैं न्यायालय में वकील ने आवेदन दिया, अशक्त व्यक्ति अस्पताल या घर में रहता है परन्तु। शलभ भदौरिया पर जो धाराएं लगाई गई है उससे अंदाज लगा ले निम्न धाराओं में *—————— पर धारा 420 ,467 ,468, 171,120 बी, में दर्ज प्रकरण वर्तमान में जबलपुर हाईकोर्ट में विचाराधीन है, प्रकरण में जांच एजेंसी ने कई बहुत से तथ्य छुपाए उन तथ्यों को लेकर रजिस्ट्रार हाईकोर्ट एवं महानिदेशक राज्य आथिर्क अपराध अन्वेषण ब्यूरो को पत्र लिखा है। अनूसंधान अधिकारी ने बताया कि आरोपी ने वर्ष 1999 से मार्च 2003 तक जनसंपर्क विभाग से 9 लाख 90 हजार रुपए का विज्ञापन लिया और भुगतान प्राप्त किया। विज्ञापन देने में तत्कालीन अपर संचालक जनसंपर्क रघुराज सिंह की भूमिका रही । इस पूरे प्रकरण में अनुसंधान अधिकारी ने सह आरोपी रघुराज सिंह को होना चाहिए था परन्तु नहीं बनाया। आरोपी शलभ भदौरिया के द्वारा मासिक पत्र श्रमजीवी पत्रकार के फर्जी आर एन आई प्रमाण पत्र के आधार पर बैंक में खाता खोला, अनुसंधान अधिकारी ने बैंक से कोई जानकारी नहीं ली। —— जनसंपर्क विभाग की सहायक संचालक जिसने बगैर ओरिजनल डाकूमेंट देखें आर एन आई प्रमाण पत्र सत्यापित कर दिया, उसे आरोपी नहीं बनाया। आरोपी शलभ भदौरिया ने वकील के माध्यम से अशक्त होना बताया परंतु मेडिकल रिपोर्ट अदालत में पेश नहीं की, न्यायाधीश महोदय को गुमराह किया गया। मध्यप्रदेश श्रमजीवी पत्रकार संघ का अध्यक्ष बहुत पढ़ा लिखा है परन्तु उसे नहीं मालूम कि नाम का अनुवाद नहीं होता है फिर भी उसने एम पी वर्किंग जर्नलिस्ट यूनियन के खिलाफ श्रम विभाग में नाम को लेकर प्रकरण दर्ज कराया। जिसमें शलभ भदौरिया को हार मिली । श्रम विभाग के रजिस्ट्रार ने अपने आदेश में लिखा कि नाम का अनुवाद नहीं होता है। mpwju का उपयोग कर रहा है, फर्जीवाड़े में उस्ताद हैं । आपके लिए नमूना प्रस्तुत है।
