राधे-राधे -आज का भगवद् चिंत|| अभय दान ||”नान्यं त्वदभयं पश्ये”
हमारे समझने और स्वीकार करने भर की देर है, बाकी सच्चाई तो यही है कि चाहे हम कितने ही बलवान, सामर्थ्यवान एवं संपत्तिवान ही क्यों ना हों मगर विपत्ति काल में उस प्रभु के सिवा कोई हमारा सहायक, कोई हमें अभय प्रदान करने वाला हो ही नहीं सकता। जब बुद्धि में भय व्याप्त जाए तो प्रभु के शरणागत हो जाना ही एक मात्र उपाय है।
🌞भय कुछ खोने का हो, भय शत्रु का हो अथवा तो भय प्राणों का ही क्यों ना हो प्रत्येक स्थिति में प्रभु की शरण हमें भय से मुक्त कराकर अभय प्रदान करती है। जहाँ जीव के स्वयं का अथवा सबका बल क्षीण हो जाता है वहाँ से आगे फिर प्रभु सबको संभाल लेते हैं। एक बार शरणागत होकर तो देखो प्रभु द्वारा आपको समस्त भयों से मुक्त कराकर अभय प्रदान ना किया जाए तो कहना।
