*पत्रकार सुरक्षा कानून में एम पी वर्किंग जर्नलिस्ट यूनियन का सुझाव*
*पत्रकार पर दर्ज प्रकरण की जांच सी आई डी अधिकारी से कराना होगा।* *जब तक सुरक्षा कानून लागू नहीं होता तब तक गृहविभाग के आदेश को पुलिस माने*
मुख्यमंत्री मोहन यादव से निवेदन है कि पत्रकारों के लिए सुरक्षा कानून बनाने के लिए जो समिति गठित की है उनमें वरिष्ठ पत्रकार श्री महेश श्रीवास्तव को नामित किया गया है।यह समिति दो माह के अंदर अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करेगी ।
पत्रकार सुरक्षा कानून बनाने के लिए बहुत पहले काफी कवायद हो गई थी कुछ सुधार के साथ लागू किया जा सकता था।
मेरा मानना है कि पत्रकार सुरक्षा कानून में पत्रकार पर सबसे पहले गृह मंत्रालय के आदेश 1986 ,2005 और 6जनवरी 2010 के अनुसार धारा 154 के तहत मामला दर्ज हो बह भी थाना प्रभारी के द्वारा उससे छोटे कर्मचारी द्वारा नहीं। प्रकरण की जांच सी आई डी के वरिष्ठ अधिकारियों से कराई जाय और बह अधिकारी अन्य जिले का होना चाहिए।
पत्रकार पर प्रकरण दर्ज कराने वाले के बयान लिए जायें की उसका काम क्या है उस काम की भी जांच होनी चाहिए।
पत्रकार की शिकायत अधिकारी या अवैध कार्य करने वाले ही करते हैं आम नागरिक नहीं करते हैं। मैं यहां यह स्वीकार करने में संकोच नहीं करता हूं कि पत्रकार को स्वयं के साथ ही समाचार पत्र मालिक को अर्थ की आवश्यकता होती है।उस अर्थ की पूर्ति अवैध रूप से काम करने वाले ही करते हैं आम नागरिक नहीं।
आपसी सहमति नहीं बनने पर शिकायत दर्ज कराई जाती है। शिकायत दर्ज करने के पूर्व थाना प्रभारी का दायित्व है कि वह जिला जनसंपर्क अधिकारी से पत्रकार की पुष्टि होने के बाद ही कार्यवाही करें।
पत्रकार पर दर्ज मामले की जांच दूसरे जिले के सी आई डी के वरिष्ठ अधिकारी से कराना होगा क्योंकि स्थानीय पुलिस शिकायतकर्ता के पक्ष में दवाव में आकर काम करती है।
आज से बहुत वर्ष पूर्व में इस दवाव को भुगत चुका हूं ।न्यायालय ने मेरे साथ न्याय किया।
राधावल्लभ शारदा
प्रांतीय अध्यक्ष
एम पी वर्किंग जर्नलिस्ट यूनियन
मुख्यालय भोपाल
9425609484