GST चोरी मामले में कार्रवाई: आयकर विभाग ने 16 ठिकानों पर मारा था छापा, नोट बंदी में भी हुआ था बड़ा खेल। लखनऊ से निर्मल यादव की रपट भोपाल से संजय गौतम के द्वारा संपादित
मेरठ में फर्जी ई-वे बिल के जरिए 100 करोड़ से ज्यादा की जीएसटी चोरी के मामले में गिरफ्तार आरोपी कमर अहमद काजमी को कोर्ट में पेश किया गया। जहां से उसे जेल भेज दिया गया।
एक प्रतिशत जमा कर रहे थे कर
एसटीएफ अधिकारियों ने इस संबंध में डीसी (एसआईबी) राज्य कर विभाग गाजियाबाद से पूर्व में संपर्क कर जानकारी ली। उन्होंने अपने विभागीय पोर्टल से ऑनलाइन दस्तावेज देते हुए बताया कि पैरागॉन एल्युमिनियम ने वर्ष 2022-23 में 296.38 करोड़ की आउटवर्ड सप्लाई दिखाई। इसमें से 3.14 करोड़ टैक्स कैश के रूप में जमा किया गया और 50.24 करोड़ टैक्स आईटीसी से एडजस्ट किया गया। फर्म की ओर से मात्र एक प्रतिशत ही कर जमा किया गया।
इस फर्म ने जिन फर्मों से सप्लाई दिखाई, वह वास्तविक न होकर केवल फर्जी बिलों का आदान-प्रदान है। जिन वाहनों के माध्यम से ई-वे बिल में परिवहन दिखाया गया है। उन वाहनों के परिवहन का कोई डाटा किसी टोल से नहीं मिल रहा है। 2017-18 से 2022-23 तक 4.28 करोड़ से अधिक की आईटीसी क्लेम की गई। 2018-19 से ई-वे बिल की व्यवस्था पोर्टल से लागू होने के बाद मई 2023 तक 17.33 करोड़ से ज्यादा के ई-वे बिल कैंसिल कराए गए। इसका कारण काजमी पूछताछ में नहीं बता पाए। 16 ठिकानों पर मारा था छापा
कमर अतहर काजमी की कंपनियों में एल्युमीनियम उत्पाद बनाने के लिए खाड़ी देशों से स्क्रैप भी आयात किया जाता है। कंपनी के मालिकों की खड़ौली, परतापुर काशी सहित हापुड़ रोड पर बड़ी संपत्ति हैं। रुड़की भगवानपुर और मेरठ हापुड़ रोड पर ग्लास का प्लांट है। साहिबाबाद में एल्युमीनियम की फैक्टरी है। गुरुग्राम, दिल्ली, सहारनपुर, नोएडा, दिल्ली स्थित पूसा में कार्यालय है। पिछले वर्ष वह एक प्लांट दुबई में लगाने की तैयारी कर रहे थे। इसकी सूचना मिलने पर आयकर विभाग के रडार पर आ गए थे।
आयकर विभाग ने पिछले वर्ष पैरागॉन और गुडएक्स ग्लास इंडस्ट्रीज से जुड़े 16 ठिकानों पर जांच की थी। मुख्य रूप से ग्लास और एल्युमिनियम उद्योगों से जुड़े खातों और संपत्तियों के अभिलेख खंगाले थे। विभागीय अधिकारी के अनुसार, टीम पूरे दिन 100 करोड़ से अधिक का कर निर्धारण किया। कई खातों और संपत्तियों से जुड़े दस्तावेज जुटाए गए थे। एल्युमीनियम, ग्लास और स्क्रैप से संबंधित वस्तुओं की खरीद और बिक्री के बिलों की जांच की गई थी।
नोटबंदी में भी हुआ था बड़ा खेल
आयकर सूत्रों के अनुसार, नोटबंदी के दौरान नोट बदलने में काजमी ने बड़ा खेल किया था। इसकी शिकायत विभाग के पास पहुंची। 50 लाख रुपये के बदले 40 लाख रुपये की एंट्री दिखाई गई थी। खातों में जिन माध्यमों से पैसा आया, उसमें भी गड़बड़ी सामने आई थी। तीन साल तक विभाग की ओर से आय-व्यय के ब्योरे की लगातार जांच की गई थी।
