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Bharat देश की न्यायिक प्रक्रिया कांग्रेस विधायक ने किया रुपए 150 करोड़ का घोटाला मिली 5 वर्ष की सजा जुर्माना 10 लाख फायदे में रहेंगे विधायक सुनील केदार

Bharat देश की न्यायिक प्रक्रिया कांग्रेस विधायक ने किया रुपए 150 करोड़ का घोटाला मिली 5 वर्ष की सजा जुर्माना 10 लाख फायदे में रहेंगे विधायक सुनील केदार
भोपाल से राधावल्लभ शारदा की रपट सूत्रों से मिली जानकारी अनुसार
नागपुर N D C C B के 150 करोड़ रुपये घोटाले में कांग्रेस विधायक सुनील केदार को पांच साल की सजा, 10 लाख जुर्माना भी शामिल , विधायकी रहते नहीं कमा पाते, लेकिन इंकमटैक्स विभाग के नये नियम के अनुसार इस काली कमाई में सभी शामिल माने जायेंगे जितने साझीदार है।

महाराष्ट्र के पूर्व मंत्री सुनील केदार और कांग्रेस विधायक को नागपुर जिला केंद्रीय सहकारी बैंक में धन के गबन के मामले में मजिस्ट्रेट अदालत ने शुक्रवार को पांच साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई।अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट जे वी पेखले पुरकर ने 2002 के इस मामले में फैसला सुनाया। छह लोगों पर 10-10 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है।
आरोपियों में केदार के अलावा एन डी सी सी बी के महाप्रबंधक और निदेशक तथा निवेश कंपनी होम ट्रेड प्राइवेट लिमिटेड के निदेशक शामिल हैं। तीन लोगों को बरी कर दिया गया। अन्य प्रावधानों के अलावा केदार को भारतीय दंड संहिता की धारा 409 (लोक सेवक द्वारा आपराधिक विश्वासघात) के तहत दोषी ठहराया गया।
अभियोजन पक्ष के मुताबिक, एन डी सी सी बी को 2002 में सरकारी प्रतिभूतियों में 125 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ, क्योंकि होम ट्रेड प्राइवेट लिमिटेड के जरिए धन का निवेश करते समय नियमों का उल्लंघन किया गया था। केदार तब बैंक के चेयरमैन थे। अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट पेखले- पुरकर ने अपने फैसले में कहा कि केदार और एक अन्य आरोपी को बैंक की पूरी हिस्सेदारी सौंपी गई थी। अदालत ने कहा कि यह कोष (फंड) लोगों और बैंक के सदस्यों की गाढ़ी कमाई का पैसा है, जिनमें से ज्यादातर यहां के गरीब किसान हैं।
अदालत ने कहा कि सहकारी क्षेत्र का उद्देश्य समाज के आर्थिक रूप से हाशिए वाले वर्गों की स्थिति को आगे बढ़ाना है। इसने कहा कि उस समय अध्यक्ष रहे केदार और तत्कालीन महाप्रबंधक अशोक चौधरी को कानून द्वारा निर्धारित तरीके से पैसे का निवेश करने का काम सौंपा गया था, लेकिन उन्होंने विश्वासघात किया। न्यायाधीश ने अपने आदेश में कहा कि इस तरह का आपराधिक विश्वासघात एक गंभीर अपराध है।
अदालत ने कहा कि इतनी बड़ी राशि का नुकसान बैंक की वित्तीय स्थिति को गिराने के लिए पर्याप्त है, जो बदले में इकाई के हजारों सदस्यों और कर्मचारियों को प्रभावित करेगा। फैसले में कहा गया है कि उच्च पदों पर बैठे लोगों को यह सुनिश्चित करने के लिए अधिक जिम्मेदारियां दी जाती हैं कि किसी भी तरह से किसी सदस्य का एक रुपया भी बर्बाद न हो। इसलिए, ऐसे जिम्मेदार व्यक्तियों द्वारा विश्वास का उल्लंघन इस अदालत को ऐसे व्यक्तियों के साथ सख्ती से निपटने के लिए आमंत्रित करता है। अपराधों की गंभीरता को देखते हुए आरोपी व्यक्तियों के प्रति कोई नरमी नहीं बरती जा सकती।
भारतीय दंड संहिता की धारा 409 और 120 बी और दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 248 के तहत मामले में सजा पाने वालों में केदार, महाप्रबंधक अशोक चौधरी, केतन सेठ, अमित वर्मा, सुबोध भंडारी और नंदकिशोर त्रिवेदी शामिल हैं।

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