CBI: कृषि मंत्रालय के दो अधिकारियों के खिलाफ सीबीआई की कार्रवाई,*
**भोपाल से प्रधान संपादक राधावल्लभ की टिप्पणी – भ्रष्टाचार का केंसर का इलाज संभव है जिस तरह केंद्र सरकार ने 370 जैसी बीमारी का हल निकाल लिया इस 370 की बीमारी को दूर करने में मदद जनता ने भी की। यदि आप चाहें तो रिश्वत खोरी खत्म हो सकती है। सरकार लोकसभा एवं राज्य सभा में बिल बनाकर रिश्वत देने वाले को भी दंड ऐसा दे कि उसकी सात पुसते रिश्वत के धन का लाभ नहीं उठा सकते। सरकारी नौकरी करने वाले रिश्वत खोर को तत्काल प्रभाव से नोकरी से निकाल कर सारी सम्पत्ति राजसात कर ली जाए इस काम में न्यायालय की विशेष भूमिका है कि वह रिश्वत खोरी करने वाले को प्राथमिकता देते हुए जेल भेज दें वेल नहीं दें*
एफआईआर के मुताबिक, आरोपियों की पहचान पीक्यूएस, फरीदाबाद में संयुक्त निदेशक (प्लांट पैथोलॉजी) संजय आर्य और विशाखापत्तनम में तत्कालीन पादप संरक्षण अधिकारी (पीपीओ) पदम सिंह के रूप में की गई है।
सीबीआई ने रिश्वत लेकर एक मामले की जांच को बंद करने के आरोप में पादप संरक्षण और भंडारण निदेशालय (पीपीक्यूएस) के दो वरिष्ठ अधिकारियों के खिलाफ मामला दर्ज किया है। पीपीक्यूएस भारत सरकार के कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय के तहत पौध संरक्षण प्रभाग की एक एजेंसी है।
एफआईआर के मुताबिक, आरोपियों की पहचान पीक्यूएस, फरीदाबाद में संयुक्त निदेशक (प्लांट पैथोलॉजी) संजय आर्य और विशाखापत्तनम में तत्कालीन पादप संरक्षण अधिकारी (पीपीओ) पदम सिंह के रूप में की गई है। प्राथमिकी में कहा गया है कि संजय आर्य ने पदम सिंह के खिलाफ राजेश आचार्य की ओर से दर्ज कराई गई शिकायत पर जांच की थी।
शिकायत में राजेश आचार्य ने आरोप लगाया था कि पदम सिंह निर्यातकों से पैसे की मांग कर रहे थे। इस दौरान, संजय आर्य ने मई 2022 में विशाखापत्तनम का दौरा किया और शिकायतकर्ता से पूछताछ की। इसमें कहा गया है, जांच पूरी होने के बाद, संजय आर्य ने सबूतों के अभाव में शिकायत को बंद करने की सिफारिश की।