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Bhartachar हो गया खेला,भोपाल विकास प्राधिकरण के बाबू ताराचंद का पूरा परिवार लग्जरी लेकिन लोकायुक्त ने छानबीन नहीं की हो सकता है कि अब हो जांच एजेंसी सीबीआई, लोकायुक्त, आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो,ई डी, आयकर विभाग, सहित अन्य में इमानदारी नहीं है

Bhartachar हो गया खेला,भोपाल विकास प्राधिकरण के बाबू ताराचंद का पूरा परिवार लग्जरी लेकिन लोकायुक्त ने छानबीन नहीं की हो सकता है कि अब हो
जांच एजेंसी सीबीआई, लोकायुक्त, आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो,ई डी, आयकर विभाग, सहित अन्य में इमानदारी नहीं है
आखिर इनमें काम करने वाले भी मनुष्य है उनके भी परिवार है, वेतन पर निर्भर रहते हैं तो अच्छे घर, लक्जरी कार, विदेश में पढ़ाई, अच्छे कपड़े, सहित अन्य सभी कुछ अच्छा नहीं मिल सकता,
जांच एजेंसी सीबीआई में एक प्रकरण दर्ज करवाया तो एविडेंस भी उपलब्ध कराने की बात की, आज जेल में हैं।

मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में लोकायुक्त पुलिस द्वारा रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार किए गए भोपाल विकास प्राधिकरण के बाबू ताराचंद दास के बारे में बताया जा रहा है कि उनका पूरा परिवार काफी हाई प्रोफाइल और लग्जरी लाइफ व्यतीत करता है। वह पहली बार रिश्वत नहीं ले रहा था। यह स्पष्ट रूप से आय से अधिक संपत्ति का मामला है परंतु लोकायुक्त पुलिस द्वारा सिर्फ रिश्वत के मामले में कार्रवाई की गई। जबकि गिरफ्तारी के साथ ही उसके ऑफिस और घर में दस्तावेजों की छानबीन की जानी चाहिए थी।

तारकचंद दास की संपत्ति का विवरण

1994-95 में दैनिक वेतनभोगी के तौर पर बीडीए में भर्ती हुआ। 1997 में स्थायी हुआ। रिटायरमेंट के 4 साल बाकी है। अभी सहायक ग्रेड-1 के बराबर 70 हजार रु. माह वेतन। तारकचंद की पत्नी मंदिरा दास के नाम पर कस्तूरबा नगर में मां गंगा होटल 2 फ्लोर, बंयिज हॉस्टल 2 फ्लोर तथा एक फ्लोर निर्माणाधीन। मंदिरा का बीडीए के सामने शेड में स्वयं का ऑफिस है, वह स्टांप वेंडर का काम करती हैं। पंचशील नगर में मां के मकान में ग्राहक सेवा केंद्र एसबीआई कियोस्क व एमपी ऑनलाइन का संचालन भी करती हैं। पंचशील नगर स्थित मकान में 14 किराएदार रहते हैं। मां ईवा चटर्जी के नाम मकान में 16 किराएदार हैं। सभी का किराया मंदिरा को मिलता है।
लोकायुक्त वाले जितना करें, सब सही, कोई सवाल नहीं

मध्यप्रदेश में लोकायुक्त विशेष सम्मान दिया जाता है। वह जितनी कार्रवाई करें, समाज में उसे ही सही मान दिया जाता है। कोई विसलब्लोअर, कोई सवाल नहीं करता। भोपाल डेवलपमेंट अथॉरिटी के कार्यालय में पदस्थ बाबू सहायक ग्रेड 1 तारकचंद दास के बारे में सबको पता है कि, लीज के नवीनीकरण से लेकर प्रत्येक सरकारी काम के लिए, सरकार से वेतन लेने के अलावा और क्या-क्या फायदा उठाया जाता है। लोकायुक्त पुलिस ने पहले शिकायत की सत्यता की जांच की ओर उसके बाद ट्रैप की कार्रवाई की।

इसके तत्काल बाद, लोकायुक्त की टीम को छानबीन करनी चाहिए थी, कि कहीं आय से अधिक संपत्ति का मामला तो नहीं है। पता किया जाना चाहिए था कि, ताराचंद की पत्नी के नाम जो करोड़ों की संपत्ति दर्ज है, वह उन्होंने अपने परिश्रम से कमाई है अथवा उन्हें उनके मायके से गिफ्ट में मिली है। यह भी पता किया जाना चाहिए था, कि क्या उनके मायके वाले हार्दिक रूप से इतने सक्षम है कि, इतनी महंगी प्रॉपर्टी गिफ्ट कर सकते हैं।
लेकिन लोकायुक्त की टीम ने कुछ नहीं किया। रिश्वतखोरी का मामला दर्ज किया और तालियां बजी ।

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