BMC – भोपाल सरकारी जमीन पर अतिक्रमण रोकने कराएगा फेंसिंग। मुख्यमंत्री मोहन यादव को चेलेंज
कुछ अजीब नहीं लगता और सभी सरकारी विभागों पर प्रश्न चिन्ह लगता है। जमीन सरकारी विभागों की चिंता नगर निगम को इसका मतलब साफ है कि सरकारी विभागों के अधिकारियों को यह भी नहीं मालूम कि भोपाल में उनके विभाग की जमीन है। सबसे पहले लोकनिर्माण विभाग, राजस्व विभाग, शिक्षा विभाग, चिकित्सालय मुख्य है। सरकारी अमला गैरजिम्मेदार है यह सिद्ध होता है सरकार के मुखिया को चाहिए कि सिरे से बदल दो, अतिक्रमण मात्र भोपाल में ही नहीं पूरे मध्यप्रदेश में है इसका निराकरण तब हो सकता है जब जबावदार अधिकारी पर कार्रवाई नहीं हो, अतिक्रमण में सबसे बड़ी भूमिका राजनीति दलों के नेताओं की अपनी वोट बैंक बढ़ाने के लिए कराते हैं।दूसरा नाम आता है अधिकारियों का, अधिकारियों को समय नहीं की जाकर देखें कि उनकी जमीन पर किसी ने कब्जा कर लिया है, इसका जीता जागता उदाहरण फुटपाथ पर लगी दुकानें, फुटपाथ पर लगी दुकानों से नगर निगम के कर्मचारियों की बंदी है मतलब अवैध बसूली करते हैं। कहीं मंदिर बनता है तो कहीं मस्जिद और इनको बनते हुए हजारों लोग देखते हैं,इसी तरह रेलवे की जमीन पर झुग्गियों की बाढ़ है।यह अभी नहीं भोपाल में ही नहीं पूरे देश में आजादी के बाद से ही हो रहा है। एक झुग्गी झोपड़ी प्रकोष्ठ है या नहीं पहले था उस प्रकोष्ठ के नेताओं पर नेताओं का वरदहस्त हुआ करता था। बहुत ही मजेदार बात यह है कि नगर निगम भोपाल ने सरकारी जमीन पर फैंसिंग के लिए टेंडर जारी किया है।तार फैंसिंग के लिए एजेंसी तय होगी। सरकार के मुखिया मुख्यमंत्री मोहन यादव जी इस बीमारी का ईलाज क्यों नहीं कर सकते क्या अधिकारियों में मन मर्जी की आदत है। होना तो यह चाहिए कि जिस विभाग की जमीन पर अतिक्रमण है उस विभाग के उस क्षेत्र के अधिकारियों पर कार्रवाई होनी चाहिए।
