“*भगवान झूलेलाल जी के दर्शन हों प्रत्येक जनमानस को भोपाल की शान बड़ी झील में इस बार”!*
“झीलों की नगरी”* हमारा भोपाल शहर जनमानस के सेवा कार्यों के साथ जीवों की सेवा का भी मँदिर है! इन सभी जनमानस तथा जीवों की सेवा आदि कल्याण-रूपी कार्यों में भोपाल शहर के सिंधी समाज का अमूल्य सहयोग व योगदान है समाज के इस अतुल्य योगदान व दी जा रही निस्वार्थ सेवाओं की तुलना नहीं की जा सकती!
शहर से लेके, प्रदेश एवम देश तक सिंधी समाज की सामाजिक, राजनैतिक, आर्थिक क्षेत्रों में समाज का सहयोग तथा देश की अर्थव्यवस्था को मजबूत करने में भी समाज की महत्वपूर्ण भूमिका है!
समाज की सुदृढ़ भूमिका होने के बाद भी शासन तथा प्रशासन की बेरुखी का रवैया एवम आलम समाज का दर्द स्वतः ही बयां कर देता है जिनमें से एक दर्द सिंधी समाज के *इष्ट देव भगवान झूलेलाल* का *दार्शनिक स्वरूप* अथार्थ उनकी *प्रतिमा* का पूरे भोपाल शहर में किसी भी *पर्यटक-स्थल* आदि में ना होना, *गुड़ी पड़वा, चैतीचाँद* को *हिंदू नववर्ष* का आगाज़ तथा शुरुआत होती है यह दिन सिंधी समाज के *इष्ट देव भगवान झूलेलाल* को समर्पित होता है समाज की माननीय *मुख्यमंत्री श्री डॉ.मोहन यादव* से पुकार व मांग है की वह हमारे भोपाल शहर की *शान बड़े तालाब* में राजा भोज की प्रतिमा तथा करबला के बीच खाली पड़े बुर्ज स्थित *वी.आई.पी रोड* पर सिंधी समाज के *इष्ट देव भगवान झूलेलाल जी की प्रतिमा को स्थापित करने की कृपा करें!*
जनता तथा समाज के हितों एवम अधिकारों की सुरक्षा व रक्षा करना शासन का परम कर्तव्य है समाज पूरी उम्मीद व आशा के साथ अपेक्षा करता है की सरकार इस और सकारात्मक रवैया अपनायेगी एवम शीघ्र से शीघ्र इस और अपना ध्यान केंद्रित कर समाज के अधिकारों को सुरक्षित कर उनकी इस मांग व पुकार का परिणाम सकारात्मकता के साथ *भगवान झूलेलाल जी* की प्रतिमा को स्थापित करके देगी।
लेखक-
*राकेश तुलसानी।*