Breaking News

श्रमजीवी पत्रकार मासिक पत्र में हुई धोखाधड़ी , जांच एजेंसी ने छुपाए तथ्य पुनः जांच में उजागर होंगे बहुत कुछ

श्रमजीवी पत्रकार मासिक पत्र में हुई धोखाधड़ी , जांच एजेंसी ने छुपाए तथ्य पुनः जांच में उजागर होंगे बहुत कुछ
कब तक छुपेगी केरी पत्तों की आड़ में। एक दिन तो आयेगा तू बिकेगी बाजार में । धोखाधड़ी करने वाले पकड़ में आते हैं देर सबेर यही हुआ श्रमजीवी पत्रकार निकालने बाले का नया कलेंडर वर्ष शुरू ही हुआ है सिर्फ 3 दिन हुए, एक नया समाचार मिला है। श्रमजीवी मासिक पत्र एक संगठन द्वारा निकाला जाता था।उस समाचार पत्र को निकालने के लिए इतने फर्जी दस्तावेज तैयार किए गए थे एक पत्रकार के द्वारा जो अपने आप को एक पत्रकार संगठन का मुखिया मानता है। नाम आप सभी मित्रों को मालूम है, आप सोच रहे होंगे कि जिस व्यक्ति को न्यायालय से 3 वर्ष की सजा और 50 हजार रुपए का अर्थ दंड दिया जा चुका और जबलपुर हाईकोर्ट से जमानत पर हैं उसकी बात कहां से आ गई। कुछ नया खुलासा हुआ है कि उस फर्जी दस्तावेज तैयार करने वाले को जमानत मिलने का आधार कि उसके अधिवक्ता ने न्यायालय में लिख कर दिया है कि अधिक आयु एवं अपंग है उस समय जांच एजेंसी ने मेडिकल नहीं कराया और न ही न्यायालय में पेश किया, दूसरा जांच एजेंसी के द्वारा श्रमजीवी पत्रकार के बैंक खाते की जांच नहीं की,अब उस बैंक खाते की जांच एजेंसी के द्वारा शुरू हो रही है। राज्य आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो अन्वेषण ब्यूरो ने जांच में लिखा था कि जनसंपर्क विभाग से लगभग 10 लाख रुपए के विज्ञापन भुगतान प्राप्त किए इस राशि को जनसंपर्क विभाग द्वारा बसूली की जाना है।जिसकी तैयारी जनसंपर्क विभाग द्वारा की जा रही है। इस धोखाधड़ी के मामले में जनसंपर्क विभाग के तत्कालीन अपर संचालक रघुराज सिंह को पार्टी नहीं बनाया, उसे भी जांच एजेंसी ढूंढ रही है, अब आर एन आई प्रमाण पत्र को सत्यापित करने बाली महिला अधिकारी को भी पार्टी बनाया जा रहा है। इन सबके बाद राज्य आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो के वो तमाम अधिकारी एवं कर्मचारी भी संदेह के घेरे में आ रहें हैं, इतना ही नहीं राज्य आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो के अधिवक्ता भी लपेटे में आ रहें हैं क्योंकि उनके द्वारा समस्त दस्तावेज देखें जानें के बाद भी माननीय न्यायाधीश महोदय के समक्ष नहीं रखें,इन सब बातों से लगता है कि सजा कम हो तो शंका जाहिर हो रही है काफी लेन देन हुआ है। यह धोखाधड़ी का मामला तो पहले ही समाप्त कर दिया गया था परन्तु जानकारी मिली तब राज्य आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो के तत्कालीन डी जी पी पवार सा मुलाकात कर प्रकरण की जांच का अनुरोध किया उस समय उन्होंने ला आफीसर को बुलाकर पूछा था कि कितने रुपए में मामला समाप्त कर दिया, डी जी पी श्री आनंद राव पवार एक ईमानदार अधिकारी ने प्रकरण की जांच पुनः शुरू कराई। फिर मामला न्यायालय में पेश किया गया उस समय उपरोक्त सभी बातें माननीय न्यायाधीश महोदय के संज्ञान में नहीं लाये। मैं समझता हूं कि पत्रकार भवन पर अवैध रूप से कब्जा करने वाले उस ठगबाज पत्रकार को आप सभी जानते हैं यदि नहीं जानते हैं तो पुरानी पीढ़ी के पत्रकारों से बातचीत कर जानकारी ले सकते हैं। जब तालाब में एक गंदी मछली आ जाती है तो फिर उस तालाब में गंदगी हो जाती है और गंदे तालाब के पास कोई कदम नहीं रखता है। राधावल्लभ शारदा

About Mahadand News

Check Also

Fomer मुख्यमंत्री दिग्विजय और राजा पटेरिया की बढ़ सकती है मुश्किलें: बहुचर्चित आरकेडीएफ मामले में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई कल

Fomer मुख्यमंत्री दिग्विजय और राजा पटेरिया की बढ़ सकती है मुश्किलें: बहुचर्चित आरकेडीएफ मामले में …